अनुरोध

ठहरो क्षण भर मेरे लिए,
अपनी उस अविराम यात्रा में;
साथी बनूंगा मैं तुम्हारा,
क्योंकि मैं भी
राही हूँ उसी राह का,
और आ रहा हूँ तुम्हारी ओर,
अपनी संपूर्ण गति के साथ।

सोचो मत कि होगा विलंव,
मेरी यात्रा भी है अनवरत,
औऱ जगता हूँ हर सुबह मैं,
अपने अंत के होकर और करीब;
मेरा प्रतिक्षण एक झुकाव,
और प्रति प्रहर है,
उठा एक कदम उस ओर।

सुनो मेरी धड़कन,
एक मीठी आवाज़
जो कह रही है अनवरत्
कि 'मैं आ रहा हूँ,
मिलूँगा तुमसे एक दिन
इस सफ़र के अवसान पर।

राजीव।28-11-1999

Comments

Popular posts from this blog

READING : WHY & HOW

You r Unforgettable

Quality Education – the Debate is always on.....